यह गुफा प्राचीन काल से स्थित है लेकिन उस वक़्त यंहा घन घोर जंगल होने की वजह से जंगली जीव जंतु होने की वजह से इसका किसी को पता नही था | इस गुफा में पहले शेर होता था ऐसा बताया जाता है| सन 1985 के लगभग श्री रामेश्वर गहिरा गुरु जी ने इस गुफा की खोज की वंहा उन्होंने कई वर्षो तक तपस्या भी किया था | श्री रामेश्वर गहिरा गुरु जी एक दिव्या शक्ति वाले ब्यक्ति थे उन्हें आज भी लोग पूजते हैं| गहिरा गुरु जी और उनके कुछ साथियों ने इस गुफा को बाद में सुधर कर के लोगो के आने जाने के लायक बनाया ताकी लोग भगवान शिव की पूजा करने आसानी से आ सके, इस जगह पर दो शिव लिंग है एक एक गुफा के उपर जिसे बुढा शिव कहते है बुढा शिव की लगभग 15 से 20 फिट लम्बी है और इसी की ठीक निचे गुफा के अन्दर एक शिव लिंग है जन्हा पर गहिरा गुरु जी ने तप किया था |
विवरण :-
कैलाश गुफा प्राकृतिक सोंदर्य से भर पुर है यंहा की शांति और पेंड़ो और झंरनो की सरसराहट से मन शिव लीन हो जाता है कैलाश गुफा में चारो तरफ केले के पेड़ हैं और यंहा बन्दर भी बहुत है |
कैलाश गुफा में बहुत सारे झरने (water fall) हैं यंहा एक बहुत बड़ा झरना है जिसका नाम अलकनंदा झरना (Alaknanda Water fall) है , यह काफी सुन्दर है और यंहा जाते ही पानी के गिरने की आवाज मन में काफी शांति लाती है |
इस गुफा की सबसे बड़ी खास बात यह है की इस गुफा के अन्दर सालभर पानी की धारा बहती रहती है जबकि गुफा के ऊपर कोई भी पानी श्रोत नही है अक्सर ऐसा होता है की जो भी यंहा पूजा करने आता है थोडा बहुत जरूर यंहा की पानी से भीग जाता है |
इस गुफा का देख रेख पहले गहिरा गुरु जी महराज और उनके सहयोगी करते थे आज कल समरबार संस्कृत महाविद्यलय वाले करते हैं, कैलाश गुफा जाने के रस्ते में समरबार नामक एक ग्राम अत है जन्हा संस्कृत महाविद्यलय है| यंहा गहिरा गुरु का घर भी है|
Fig. Lorshiva kailash mandir
कैलाश गुफा में हर साल शिव रात्रि के दिन मेला लगता है और यंहा दूर दूर से लोग भगवान् सही कइ दर्शन के लिए आते है यह मेला दो तीन दिनों तक चलता है|
कैलाश गुफा को छोटा बाबा धाम भी कहा जाता है क्योंकि यहा हर साल सावन के महीने पुरे महीने मेला लगा रहता है और आस पास के सभी श्रद्धालु कावर ले कर पैदल यात्रा कर के भगवन शिव को जल चडाने आते है| यहा पर सावन महीने के चारो सोमवार को अलग अलग तरफ के लोग आते है Bagicha , Ambikapur , raigarh etc.